नई दिल्ली (एजेंसी)। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में काश पटेल और तुलसी गैबार्ड को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। ट्रंप ने काश पटेल को एफबीआई चीफ, जबकि तुलसी गैबार्ड को यूएस नेशनल इंटेलिजेंस का निदेशक नामित किया है। इस नामांकन के बाद, दोनों को अमेरिकी सीनेट के सामने पेश होना पड़ा, जहां उनके साथ कड़े सवाल-जवाब हुए।
तुलसी गैबार्ड ने क्या कहा?
तुलसी गैबार्ड ने सीनेट की सुनवाई में बताया कि उन्हें ‘व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी की कठपुतली’ कहा जाता है। उन्होंने कहा,
“मुझ पर आरोप लगाए जाते हैं कि मैं ट्रंप, मोदी और पुतिन की कठपुतली हूं। लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें इस बात का गुस्सा है कि मैं डेमोक्रेटिक पार्टी की कठपुतली नहीं हूं। वे मुझ पर यह आरोप लगाते आए हैं और आगे भी लगाएंगे।”
गैबार्ड का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी के भी इशारे पर नहीं चलतीं, और उनकी स्वतंत्र सोच ही उनके खिलाफ इस तरह की आलोचनाओं का कारण बनी है।
डेमोक्रेटिक सीनेटर माइकल बेनेट के सवालों पर क्या बोलीं?
सुनवाई के दौरान डेमोक्रेटिक सीनेटर माइकल बेनेट ने गैबार्ड से कई बार पूछा कि क्या वे एडवर्ड स्नोडेन को ‘गद्दार’ मानती हैं। इस पर गैबार्ड ने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि स्नोडेन ने कानून तोड़ा और उनके कार्यों से वे सहमत नहीं हैं।
असद से मुलाकात पर भी हुई पूछताछ
2017 में तुलसी गैबार्ड ने तत्कालीन सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की थी, जब अमेरिकी सरकार असद के रासायनिक हथियारों के उपयोग को लेकर उनकी अलोचना कर रही थी और उन्हें पद छोड़ने के लिए कह रही थी। इस मुलाकात को लेकर गैबार्ड की कड़ी जांच हुई और सांसदों ने उनसे सवाल किए।
गैबार्ड ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने असद से उनके शासन के कार्यों पर कठिन सवाल किए थे और किसी भी तानाशाह के प्रति उनकी कोई सहानुभूति नहीं है। उन्होंने कहा,
“मुझे असद, गद्दाफी या किसी भी तानाशाह से कोई खास लगाव नहीं है।”
काश पटेल की प्रतिक्रिया
काश पटेल ने भी अमेरिकी सरकार में हिंदू अधिकारियों को झेलनी पड़ने वाली मुश्किलों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि उनके साथ भी भेदभाव किया जाता है और उन पर कई गैर-जरूरी आरोप लगाए जाते हैं।
निष्कर्ष
तुलसी गैबार्ड और काश पटेल की सुनवाई के दौरान हुए इन खुलासों ने अमेरिकी राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। तुलसी गैबार्ड का “ट्रंप, मोदी, पुतिन पपेट” बयान वैश्विक मीडिया में सुर्खियों में बना हुआ है।