मुंबई (एजेंसी)। मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया है कि भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत की जांच के बाद, उन्होंने मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष ‘सी’ सारांश रिपोर्ट दाखिल करने का निर्णय लिया है। यह रिपोर्ट उस स्थिति में दायर की जाती है जब पुलिस को आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिलते।

समीर वानखेड़े ने 2022 में राकांपा (अजित पवार) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर गोरेगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी। अपनी याचिका के माध्यम से वानखेड़े ने जांच एजेंसी से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं एफआईआर में जोड़ने का अनुरोध किया था।

अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम:
अधिनियम की धारा 3 अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों के खिलाफ अपमान, धमकी और अन्य अत्याचारों को अपराध मानती है। वानखेड़े ने इस अधिनियम की धारा 3(1)(पी), 3(1)(क्यू), और 3(1)(आर) को एफआईआर में जोड़ने की मांग की थी।

पुलिस की प्रतिक्रिया और कोर्ट का रुख:
12 दिसंबर, 2024 को, राज्य सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि अधिनियम की उपरोक्त धाराएं एफआईआर में जोड़ी गई हैं। इसके बाद, अतिरिक्त लोक अभियोजक एसएस कौशिक ने इस महीने अदालत को बताया कि पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट में ‘सी’ सारांश रिपोर्ट दायर करने का निर्णय लिया है।

इस मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस को जांच से संबंधित कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया था। अब पुलिस ने जांच पूरी कर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्णय लिया है।